रामदाना खेती
रामदाना खेती वैसे तो बाराबंकी जिला केले और अफ़ीम की खेती के लिए मशहूर है लेकिन अब यहां रामदाना की खेती भी बड़े पैमाने पर होने लगी है. गुणों से भरपूर रामदाना हर तरह की जलवायु में आसानी से उग जाता है। इसका उपयोग हजारों वर्षों से भोजन के रूप में किया जाता रहा है। अब उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में भी इसकी खेती का चलन बढ़ गया है. जिले के कई किसान रामदाना की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
खेती कम मेहनत और कम पानी में की जा सकती है. जबकि अन्य खेती में पानी प्रचुर मात्रा में होता है और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आपको बता दें कि रामदाना में गेहूं और चावल से भी ज्यादा प्रोटीन होता है. बाराबंकी जिले के इसरावली सेठ गांव निवासी युवा किसान विजय बहादुर वर्मा ने दो साल पहले अपने गांव में एक एकड़ जमीन पर रामदाना की खेती शुरू की थी। आज वह ढाई एकड़ में इसकी खेती कर सालाना दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी खेती को देखकर आज कई किसान इसकी खेती करने लगे हैं.
कम पूंजी में लाभदायक खेती
किसान विजय बहादुर ने बताया कि पहले वह धान, गेहूं, आलू व सरसों की परंपरागत खेती करते थे. जिसमें ज्यादा मुनाफा नहीं था और लागत भी अधिक थी, फिर जब हमें इसकी खेती के बारे में जानकारी मिली तो हमने एक एकड़ से इसकी खेती शुरू की। अधिक मुनाफा देख वे अब ढाई एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं। एक फसल पर हमें दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है और इस खेती में लागत भी न के बराबर है और इस खेती को जानवर भी नहीं चरते और इसकी देखभाल करने की भी जरूरत नहीं पड़ती.
किसानों को रामदाना की खेती से अपनी आय बढ़ानी चाहिए।
किसान ने बताया कि इसकी खेती छोटी जोत वाले किसानों के लिए फायदेमंद है. कम समय और कम लागत में इसकी खेती बहुत अच्छी होती है. इसकी खेती के साथ-साथ हम उड़द की खेती भी करते हैं जिससे हमें अच्छा मुनाफा मिलता है। इसकी अच्छी पैदावार लेने के लिए इसकी बुआई पंक्तियों में करनी चाहिए। यह विधि पौधों के बीच सही दूरी बनाए रखने में सहायक है। साथ ही निराई-गुड़ाई में भी सुविधा होती है।